हम शीश काटकर लाएंगे
जंग ए आज़ादी की ख़ामी हम फिर से ना दुहरायेंगे तुम एक तमाचा मारोगे हम शीश काटकर लाएंगे हम चरखा नहीं चक्रधर हैं बारुन्दों में पालित पोषित हम शिष्ट ,सभ्य ,भारतवासी मर्यादित ,अखण्ड ,हिमगिरि शोभित जो भृकुटि जरा तरेरे तो, कर खंड मुंड लहरायेंगे तुम एक तमाचा मारोगे, …