वक़्त वक़्त की बात है .. या कहें कि वक़्त का तकाज़ा या रवायत है …
कि आज आमिर खान को उन लोगों से ही डर लग रहा है .. जिन्होने हमेशा उन्हें सर आँखों पर बैठाया …
या यह कहें कि उन्हीं लोगों ने मोदी को देश का प्रधानमंत्री बनाया …
पता नहीं … आपका डर कैसा .. ??
आप तो आज भी बहुत दहशत के बाद भी … आमिर खान हैं ।।
पर जरा याद करिये …. अपने महान सेक्युलर पुरोधा …
चच्चा नेहरू को ……
जिनके राज में आप शायद सुरक्षित भी महसूस कर रहे होते …. और शायद आपने अपना नाम अखिलेश रख लिया होता….
मोहम्मद युसुफ खान …. दिलीप कुमार
मुमताज जहाँ ………….. मधुबाला
जकारिया खान ………………जयंत
महजबी बानो ……………… मीना कुमारी
हामिद अली खान ………….. अजीत
खुर्शीद अख़्तर ..……………… श्यामा
सैयद इश्तियाक अहमद …….. जगदीप
और तो और ..
बदरुद्दीन जमालुद्दीन काजी तक ने … सामाजिक स्वीकार्यता के लिये .. जॉनी वॉकर …. बनना ज्यादा बेहतर समझा …..
बॉलीवुड के तीनों खानों की सफलता का केवल एक ही मतलब है … कि हम सनातनी सदियों से दिल व जुबान से निरपेक्ष हैं …
जबतक हमें छेड़ा या भड़काया न जाये
खासकर संस्कृति और राजनीतिक रूप से ….
एक बात जान लीजिये .…
।। ” सहिष्णुता हिन्दू धर्म की स्वाभाविक सहजता है ” ।।
…………… ए यस पँवार