यदि कर्म ज्ञान चाहिए तो गीता पढ़ लीजिये
यदि धर्म ज्ञान चाहिए तो गीता पढ़ लीजिये
जीवन को जीने का मकसद मिल जाएगा
यदि मर्म ज्ञान चाहिए तो गीता पढ़ लीजिये
यदि आत्म बल चाहिए तो गीता पढ़ लीजिये
परमात्म बल चाहिए तो गीता पढ़ लीजिये
वेदों का सार सब संकलित श्री कृष्ण मुख
परमार्थ बल चाहिए तो गीता पढ़ लीजिये
आत्म रक्षा योग बल गीता बताती है
जीवन को जीने की कला समझाती है
कर्म पथ पर बढ़ तुझे फल की न चिंता हो
मोक्ष मार्ग जानना हो गीता पढ़ लीजिये
वैसे तो अनगिनत साहित्य मिल जाएगा
हिंसक अहिंसक बुतपरस्त समझायेगा
सबकी है नाक ऊंची ,अहंकार युक्त भाव
साधुभाव चाहिए तो गीता पढ़ लीजिये
श्री हरि:
धर्मेन्द्र नाथ त्रिपाठी””संतोष””